मन की भाषा
मन की भाषा मन ही जाने,
किसको अपना पराया माने,
मन टूटे तो किसी की न सुनता
मन चाहे तो इंसान कुछ भी करले
मन की राह में आगे बढ़ते ही चले,
जब तक मिले न मन की मंजिल
खुद को बनाता चल और भी काबिल
मन से मानो तो यही है ईश्वर
मन न माने तो ढूढते फिरे उसे दर - बदर
मन से देखो तो सब में है भगवान
फिर भी खुद को क्यों समझे इंसान
मन ऐ दुःखी हो तो रब ही बचाये
मन के फेरे कोई समझ नही पाये
मन की आशा उरती जाये
हर सपना फिर पंख फैलाये
ये मन न जाने कितने नाच नचाये
हमसे अपनी सारे बात मनवाए
भागते-भागते जब इंसान जब थक जाये
फिर भी मन को हाय तरस न आये
जो न माने इस मन की बातें
वही तो जग में ज्ञानी कहलाते
छेरछार सभी मन के द्वारे
चलो भुला दे हम अपने पराये
मन से हो सबके साथी
साथ निभाए जैसे दिया और बाती
ConversionConversion EmoticonEmoticon